आइये, मिलकर उगाये हरियाली का कल |

आज एक पौधा लगाकर कल की हरियाली को संजोये। हमारी पहल का हिस्सा बनें और अपने योगदान से पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका निभाए। हर पौधा एक बेहतर भविष्य की नींव है, जिसे हम सब मिलकर मजबूत कर सकते हैं।

जीवन संघर्ष

उद्देश्य और सोच

मिशन

हमारा मिशन प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और उनके संरक्षण की दिशा में काम करना है। हम पर्यावरण क्षरण, अत्यधिक उपभोग, और जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न खतरों को पहचानते हुए, सतत विकास और स्थिरता की दिशा में काम करते हैं। हमारा उद्देश्य पर्यावरणीय संकटों, जैसे सूखा, प्राकृतिक आपदाएँ, और संसाधन संघर्षों का सामना करना है, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य, वैश्विक अर्थव्यवस्था, और समग्र शांति और स्थिरता को सुनिश्चित किया जा सके।

पेड़ों का महत्व और उन्हें बचाने की आवश्यकता -

पेड़ हमारे पर्यावरण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे हवा को शुद्ध करते हैं, जल संरक्षण में मदद करते हैं, और जलवायु को नियंत्रित करते हैं। पेड़ों की उपस्थिति से पर्यावरण का सौंदर्य और शांति बढ़ती है, और यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को सुधारता है। पेड़ों को बचाना हमारे जीवन के प्रति दया दिखाने जैसा है, क्योंकि उनके बिना धरती पर जीवन संभव नहीं है। हमारा उद्देश्य लोगों को पेड़ों के महत्व और उन्हें बचाने की आवश्यकता के प्रति जागरूक करना है, ताकि हम एक स्वस्थ और सुरक्षित पर्यावरण की दिशा में आगे बढ़ सकें।

निष्कर्ष

धरती पर पेड़ों की संख्या में हो रही कमी को देखते हुए, हमें पेड़ों को बचाने और नए पेड़ लगाने के लिए सक्रिय होना चाहिए। हमें अपने आस-पास के प्रदूषित क्षेत्रों में अधिक से अधिक पेड़ लगाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि पर्यावरण संतुलित और शुद्ध बना रहे।

पर्यावरण में जितना महत्व मनुष्यों का है, उतना ही अन्य जीव-जन्तुओं का भी। अकेले मानवों के अस्तित्व के लिए भी पेड़-पौधो की उपस्थिति अनिवार्य है। प्राणवायु ऑक्सीजन हमें इन वनस्पतियों के कारण ही मिलती हैं।

वैज्ञानिक गतिविधियों के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। साथ ही कभी औद्योगिकीकरण के नाम पर तो कभी शहरीकरण के नाम पर पेड़ो की अंधाधुंध कटाई हुई है। बढ़ती जनसंख्या के कारण भी पर्यावरण संकट गहराता जा रहा है। लोगों को वन संरक्षण पर ध्यान देना चाहिए। वन पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, वनों की कटाई निश्चित रूप से दुनिया भर के जंगलों के क्षेत्र को कम करती है।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए यह सरकार द्वारा उठाया गया सराहनीय कदम है। यह कानून सरकार को ऐसी शक्तियां प्रदान करता है जिसके आधार पर सरकार, पर्यावरण के संरक्षण के लिए अपेक्षित कदम उठाती है और पर्यावरण के लिए गुणवत्ता मानक तय करती है। इतना ही नहीं जो उद्योग पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते है, उनके लिए कड़े नियम बनाती है और उन पर नकेल भी कसती है। इसके तहत कुछ औद्योगिक क्षेत्रों को प्रतिबंधित भी किया है।

पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम

हमारा पर्यावरण प्राकृतिक और कृत्रिम परिवेश, दोनों का मिलाजुला स्वरुप है। इसके अन्तर्गत पर्यावरण की गुणवत्ता के संरक्षण की बात की जाती है।

  • पर्यावरण सुरक्षा की गंभीरता को देखते हुए 5 जून, 1972 में पहली बार स्टॉकहोम (स्वीडन) में पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया।
  • पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए भारत ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाया और 1986, में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम पारित कर दिया।
  • इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य वातावरण में घुले घातक रसायनों की अधिकता को कम करना और पारिस्थितिकीय तंत्र को प्रदूषण से बचाना है।

इस अधिनियम में कुल 26 धाराएं हैं। और इन धाराओं को चार अलग-अलग अध्यायों में विभक्त किया गया है। यह कानून पूरे भारतवर्ष में 19 नवंबर, 1986 से प्रभावी है। यह एक वृहद अधिनियम है जो पर्यावरण के सभी मुद्दों पर एकसमान रुप से नज़र रखता है। संक्षेप में कह सकते हैं कि -
इस अधिनियम का निर्माण पर्यावरण के संरक्षण और सुरक्षा के लिए बनाया गया है। यह पर्यावरण के लिए, किए गए स्टॉकहोम सम्मेलन के सभी नियमों का पालन करता है। अपेक्षित कानूनों का गठन करता है और उनके बीच संतुलन स्थापित भी बनाये रखता है। पर्यावरण के लिए अगर कोई खतरा उत्पन्न करता है तो उसके लिए दंड का भी प्रावधान है।

सफल वृक्षारोपण

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